इस वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या, 12 नवंबर 2023 को दीपावली का शुभ पर्व पूरे देश में, और विदेशों में भी हर्षोउल्लास के साथ मनाया जायेगा। आप सभी के मन मष्तिस्क में खुशियाँ होगी और साथ में दीपावली पूजन से सम्बंधित प्रश्न भी होंगे। सभी सोचते हैं कि पूजन सही तरीके से हो, कोई ग़लती ना रह जाए, इत्यादि। बाज़ार में अनगिनत रूपों में माता लक्ष्मी के चित्र और विग्रह मिलते हैं, कौन सा घर लाया जाए, यह लगभग सभी लोग सोचते होंगे। मुझसे भी अनेक लोग पूछते हैं कि, कैसी या कौन सी मूर्ति लानी चाहिए। सभी लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार सबसे अच्छा करने का प्रयास करते ही हैं, लेकिन यदि यह प्रयास सही दिशा में होगा तो पूजन सफ़ल होगा और देव कृपा के साथ साथ माता लक्ष्मी की कृपा अवश्य होगी।
सनातन धर्म में पवित्र पुराण हर जानकारी देते हैं, बस जरुरत है कुछ पृष्ठ पलटने की। यहाँ एक याद रखने योग्य बात यह है कि, महालक्ष्मी पूजन की पहली आवश्यकता होती है, साफ़ सफ़ाई और पवित्र वातावरण। घर में साफ़ सफ़ाई हो, अच्छा और हंसी ख़ुशी का वातावरण हो, बड़े बुजुर्गों का आदर होता हो, ऐसी स्थिति में पूजन ज़्यादा फलदाई होता है। पुराणों में माता महालक्ष्मी का पौराणिक स्वरुप बताया गया है। आप भी जानिए; पद्मपुराण एवं अग्निपुराण के अनुसार: स्फुरत्कांतीमतिविकासि कमलेस्थिता। श्रीर्द्देवी पयसस्तस्मादुत्थिता धृतपंकजा।। अर्थात, जब माँ लक्ष्मी क्षीर सागर से प्रकट हुईं, तो वो खिले हुए कमल पर विराजमान और हाथ में कमल लिए हुए थीं। लक्ष्मीर्याम्य कराम्भोजावामे श्रीफलसंयुता।। अर्थात, लक्ष्मी के दाएं हाथ में कमल तथा बाएं हाथ में श्रीफल होता है।
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते। अर्थात, भगवती श्री पीठ पर विराजित हों। शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते।। अर्थात, शंख, चक्र, गदा धारण किये हुए हों। नमस्ते गरुड़ आरुढ़े कोलासुरभयंकरि। सर्वपापहरे देवी महालक्ष्मी नमोऽस्तुते॥ अर्थात, गरुड़ पर आरूढ़ हों, यानि गरुड़ पर बैठी हुई हों। पद्मासनस्थिते देवी परमब्रह्मस्वरूपनि। परमेशि जगन्मातर्मालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥ अर्थात, पद्म, यानि कमल आसन पर विराजित हों। यह तो हो गया महालक्ष्मी का स्वरुप, जिसका आप सभी को ध्यान रखना है।
चित्र या विग्रह लाते समय इनका ध्यान रखना अतिआवश्यक है। इसके साथ ही, कुछ और बातों का ध्यान रख कर लक्ष्मी कृपा पाई जा सकती है। यह ध्यान रखिए कि चित्र या विग्रह में माता लक्ष्मी खड़ी अवस्था मे ना हों। पैर बाहर न निकले हों, अर्थात जाने को तैयार न हों। इससे धन की हानि होती है। माता लक्ष्मी का आपके घर में सदैव वास हो, इसके लिए इस बात का ध्यान रखें। व्यापारिक संस्थानों में खड़ी लक्ष्मी की पूजा के विषय में कहा गया है, कि उत्तर दिशा में माता का स्थान बनाएं और धूप की भस्म, जाला, फटे पुराने कागज, खाली पैकेट आदि इकट्ठे न करें, अर्थात सफाई रखें, गुलाब के इत्र से दुकान के मंदिर को सुवासित रखें। कार्तिक अमावस्या पर माता लक्ष्मी पूजन करते समय सही चित्र या विग्रह के साथ साथ ऊपर बताई गई अन्य बातों भी ध्यान रख कर कृपा प्राप्त की जा सकती है। आप सभी की दीपावली शुभ हो।